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सुनो बालिके ...सुनो !

  
सुनो बालिके ....सुनो !
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बधाई तुम्हें 
कि इस दुनिया में 
तुम आ ही गई 
पर इस खुशी को संभालने की ख़ातिर 
सीखने होंगे कई नए पाठ
अभी तो यह पहला व्यूह था 
बाक़ी हैं कठिनतर सफ़र
पार करना होगा 
समूचा चक्रव्यूह 

चलो अच्छा है 
अभी तुम्हारे खेलने - खाने के दिन हैं
तुम बहुत खुश लग रही हो 
अपने रंगबिरंगे किचेन सेट में 
दाल -भात ,रोटी और चाय के अलावा
पिज्जा -बर्गर भी पकाकर 
और अपने इस खेल में
मम्मी -पापा को झूठमूठ का परोसकर 
तुम इतरा रही हो 
पर रूको अभी
देखो 
इसके आगे कई मुक़ाम हैं
तुम भी खेलो कमरे से निकालकर बाहर अपने पाँव
रखो रनों का हिसाब 
चोट करो शटल पर संतुलन साध
घरेलू बिल्ली से ही प्यार मत बढ़ाओ 
सीखो शेरनी से दहाड़
पूरी दुनिया है सियासत 
बिछी शतरंज की बिसात  
चलता रहता शह और मात 
दिन हो या रात 

अरे बालिके 
मत रचाओ गुड्डे - गुड़ियों का ब्याह
राजकुमारी बनकर मत घूमो
परीलोक का छद्म संसार 
मत बुनो सुनहरे ख्वाब
अपनी मम्मियों और दादियों की तरह
कि सफेद घोड़े पर होकर सवार 
आएगा कोई बहुत सुंदर राजकुमार 
ले जाएगा तुम्हें सात समंदर पार 
देगा तुम्हें बस सुख हज़ार 

हाँ, बालिके 
यह समय सपनों की असंख्य क़ब्रों से निकलने का है
'प्रज्ञा' तुम्हारे हाथों में क़ैद जादू की छड़ी है 
उसे ही साधना और घुमाना सीखो 
तुम्हारी हुकूमत ज़मीन और आसमान तक होगी 
और कर सकोगी झूठ -फरेब और सच्चाई में अंतर

और हाँ,
एक बात और 
कि जबतक सीख न लेना पूरी तरह 
अपने पैरों पर ठीक से चलना 
अपने पैरों को बैसाखियों का गहना 
पहनने कत्तई मत देना
इंकार करने की हिम्मत रखना 
सुंदर दिखते गहनों के प्रलोभन आएंगे
मगर तभी पहनना जब वह बोझ न लगे 
उतना ही पहनना जितना सहयोगी बने 
तुम्हारे रूप को निखारने में
ज़िंदगी को सँवारने में
उन्हें बेड़ियाँ बनने मत देना

सुनो बालिके ,
अंतिम व्यूह पार करने तक
साथ रखने होंगे कई हथियार 
उम्मीद है अपने अपार हौसले से 
जीत लोगी यह समर 
सहस्रों अभिमन्यु पैदा होंगे 
जीवित लौटकर आएंगे घर -घर 
गाएंगे वे सब मिलकर 
"जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी "का
 बेहद ख़ूबसूरत मंत्र !
-सरिता स्निग्ध ज्योत्स्ना

राष्ट्रीय बालिका दिवस  (24 जनवरी )की बहुत -बहुत शुभकामनाएं! 





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